रावण का ओपन लैटर: रामलीला की मर्यादा को मत छेड़ो

शालिनी तिवारी
शालिनी तिवारी

प्रिय रामलीला आयोजकों,
मैं रावण — लंकेश्वर, दशानन, शिवभक्त, परम विद्वान — आज पाताल से एक ओपन लैटर लिख रहा हूँ। वजह?
पूनम पांडे को मंदोदरी बनाना। अरे! ये रामलीला है या Instagram reel की शूटिंग?

मंदोदरी कोई रैंडम रोल नहीं है

मंदोदरी सिर्फ़ मेरी पत्नी नहीं, लंका की आत्मा थी। वो राजनीति की ज्ञाता थी, धर्म की व्याख्याता थी, और मेरे जीवन की नैतिक बैलेंस शीट। अगर मैं रावण था, तो वो मेरी रावणनी थी — विवेक और मर्यादा की देवी। अब उस पवित्र किरदार को आप “हॉट फोटोशूट क्वीन” के हवाले कर रहे हो?
#CulturalBankruptcy का सबसे बड़ा उदाहरण यही है।

“Character casting नहीं, ये culture insulting है”

पूनम पांडे क्या कभी त्रिशूल पकड़े बिना कैमरे के सामने रही हैं?
क्या उन्हें व्रत, तपस्या, या वैदिक धर्म के तीन श्लोक भी आते हैं?
नहीं।

लेकिन फिर भी आपने उन्हें मंदोदरी बना दिया, शायद इसलिए कि “controversy = coverage = crowd”

अगर यही ट्रेंड चला, तो कल को हनुमान के रोल में कोई बॉडीबिल्डर इन्फ्लुएंसर होगा। सीता बनी होंगी कोई रियलिटी शो कंटेस्टेंट

और रावण… शायद कोई motivational speaker?

“रामलीला बन गई है रीललीला”

रामलीला संस्कार, सत्य और नारी गरिमा का मंच है। यहाँ देवी-देवताओं का अभिनय नहीं, आत्मा से अनुकरण होता है। लेकिन अब आप इसे बना रहे हैं social media का सनसनीखेज सेट। Jai Shri Ram के नारे के बीच में अब “Like, Share, Subscribe” की गूंज आ रही है।

“ये नाटक नहीं, आत्महत्या है… चरित्र की, संस्कृति की”

संस्कृति को “viral views” की भेंट चढ़ा कर आप क्या सिद्ध करना चाहते हो? क्या आप इतने असहाय हो गए हो कि TRP के लिए त्रेता युग को भी Tiktok बना दोगे? मुझे आज राम की विजय से दुख नहीं, मुझे आज उस मंच से दुख है जहां मंदोदरी अब Google Trends की वजह से चुनी जाती है, गुणों की वजह से नहीं।

“आखिरी चेतावनी — रावण शांत हो सकता है, पर अपमान नहीं सहता”

राम ने मुझे मारा था, धर्म की रक्षा के लिए। लेकिन तुम जो कर रहे हो, वो तो धर्म के नाम पर entertainment है। अगर तुमने अपनी मर्यादा नहीं संभाली, तो ये रावण फिर उठेगा — इस बार रथ पर नहीं, ट्वीट पर। “संस्कृति से खिलवाड़ करोगे, तो रावण के 10 सिर नहीं, 10 मिलियन लोग सवाल उठाएंगे।”

PS from Patal Lok:

मंदोदरी के किरदार को सम्मान के साथ प्रस्तुत करो। रामलीला को रियलिटी शो की तरह ना बेचो। और हाँ, कम से कम अगली बार किसी देवी की भूमिका देने से पहले वो Instagram प्रोफाइल ज़रूर चेक कर लो।

रावण अगर कलयुग में होता, तो उसने खुद पूनम पांडे की कास्टिंग देख “नम:स्तस्यै नम:स्तस्यै” की जगह “ना भाई ना!” बोल दिया होता।
रामलीला पवित्र मंच है — उसे पॉपुलरिटी का सर्कस ना बनाओ।“सिर्फ़ मंच पर सीता-राम की कहानी मत दिखाओ, मंच पर मर्यादा भी दिखाओ।”

— रावण (अब Officially संस्कृति का Self-appointed Watchdog)

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